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शनिवार, 7 अप्रैल 2012

एहसास



खुशी हो कर भी खुशी का एहसास नहीं  ।


दर्द ए चुभन हो कर भी चुभन का एहसास नही ।


ऎसा हुआ है क्या ?


कि इस गहराई में डूब कर भी


डूबने का एहसास नही ।

(अंजना )

चित्र गूगल साभार 

11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!!!बहुत सुंदर रचना,....अंजना जी...
    आपका समर्थक बन गया हूँ,....आप भी बने मुझे खुशी होगी....
    पोस्ट पर आने के लिए आभार,....

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  2. मोहब्बत शय ही ऐसी है...........................

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  3. बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  4. आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  5. बहुत बढि़या! छोटी मग़र भाव भरी रचना।

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  6. बहुत बढि़या! छोटी मग़र भाव भरी रचना।

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  7. सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
    अहसास के लिए मन चाहिए.
    यदि मन भाव समुन्द्र में गहरी डुबकी लगा ले तो अहसास
    कौन करे.

    ऊँ को देखना,पढ़ना,सुनना,बोलना अच्छा लगता है.
    आभार.

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