जख्म से रिसते लहू का गिरना
न देख पाये हम अब ।
मौत की वादी में खुशी का अहसास
न कर पाये हम अब ।
हर चेहरे के पीछे इक नया चेहरा
न सह पाये हम अब ।
समुद्र की तूफानी लहरों में जीने की आशा..
झोली में हो कांटे और करुं फूल का अहसास
न ये कर पाये हम अब ।
गम में हर्ष की कल्पना
ऎसा अहसास न कर पाएं हम अब ।
अंजना की कलम से
सुन्दर और प्रशंसनीय ,,,,!
जवाब देंहटाएंbahut sundar lekhan.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा प्रयास है। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआप सभी इसी तरह अपनी प्रतिक्रिया प्रकट कर मेरा उत्साहवर्धन करते रहे ।आप सभी का बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhavpurn rachna ke saath chitran..
जवाब देंहटाएंhaardik shubhkamnayne
anjana ji,
जवाब देंहटाएंbahut hi sarthak avam prabhavshali abhivyakti.
poonam
sunder bhavpoorn prastuti bahut kuch spasht karate hue.........
जवाब देंहटाएंati sunder
anjnaa ji bhut khub ahchaa likhaa he bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंbeautiful
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंHi..
जवाब देंहटाएंHum ab tak ye soch rahe hain..
Pahle kyo na aaye hum..
Padhte kuchh kavitayen hum bhi..
Bhul ke hum duniya ke gum..
Ab aaye to hum aayenge..
Har kavita main sang sada..
Tere blog ka peechha humne
aaj se karna shuru kiya..
Sundar kavita..
Deepak..
खूबसूरती से लिखे हैं आपने अपने एहसास ..
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar....
जवाब देंहटाएंrachna v aur tasweer v.....
badhai.......
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!
अजी हम तो यही कहेंगे....
जवाब देंहटाएंहारिये ना हिम्मत,
बिसारिये ना राम!
साधुवाद!
bahut acchi prastuti
जवाब देंहटाएंvery well written...keep going
जवाब देंहटाएंgud luck :)
उम्दा भाव.
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .
जवाब देंहटाएंअंजना जी, गजब की कलम और अजब भाव है आपके. बहुत ही सुन्दर. फर्क मात्र इतना है की आप अपने दिल के भावो को शब्दों में पिरो कर कविता लिखती है और मै उन्ही भावो से गुफ्तगू करता हूँ. आपका भी मेरी गुफ्तगू में स्वागत है.
जवाब देंहटाएंwww.gooftgu.blogspot.com
बहुत खूब ... लाजवाब लिखा है ..
जवाब देंहटाएंसूक्तियों जैसे इस रचना के सभी छंद बहुत सुन्दर रहे!
जवाब देंहटाएंanjana jee, bahut sundar........bahut pyari rachna........:)
जवाब देंहटाएं"jholi me kante aur karun phool ka ahssaas"
WAAH WAAH
जवाब देंहटाएंKYA KHOOB LIKHA HAI , MAN KO CHOO GAYI KAVITA .. BADHYI HO
VIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
waah..kya baat hai!
जवाब देंहटाएंगम में हर्ष की कल्पना
जवाब देंहटाएंऎसा अहसास न कर पाएं हम अब
waah!!!!!!!!!!!
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएं... behatreen !!!
जवाब देंहटाएंआदरणीया अंजना जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
अनेक बार विपरीत परिस्थितियों को स्वीकार करने के सिवा कोई चारा नहीं होता …
आपकी आगामी रचनाओं में आशावाद और सुखद अनुभूतियां मुखरित होंगी , यह मंगलकामना भी है , प्रत्याशा भी ।
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut achha likha aapne...
जवाब देंहटाएंDownload Direct Hindi Music Songs And Ghazals
सचाई की मासूम स्वीकृति ! बधाई
जवाब देंहटाएंसचमुच सुंदर।
जवाब देंहटाएं---------
इंटेलीजेन्ट ब्लॉगिंग अपनाऍं, बिना वजह न चिढ़ाऍं।
कूची एवं कलम दोनों सुंदर।
जवाब देंहटाएं---------
गायब होने का सूत्र।
क्या आप सच्चे देशभक्त हैं?
अंजना जी
जवाब देंहटाएंअब कुछ नया भी पोस्ट कीजिए …
:)
शु्भकामनाओं सहित
राजेन्द्र स्वर्णकार
राजेन्द्र जी मेरा उत्साह वर्धन करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद । जल्दी ही नई पोस्ट ले कर आऊंगी ।
जवाब देंहटाएंbahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएं