तूफान आया , जब शांत हुआ दरिया
सोचा चलो निकाल लो कश्ती
चल पडे राह पर फिर अपने
दिल मे थे अरमान
आँखो मे थी कुछ नमी
पहुँचे जब किनारे के करीब
पाने को थे अभी मंजिल को
आया जोश लहरो को
पहुँचा दिया भँवर में हमें फिर
उठी आँधी, फिर जलते अरमानो की
जिसे फिर दिया नाम लोगो ने
अलग अलग फरमानो से ।
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