anjana
शनिवार, 12 अप्रैल 2014
रविवार, 9 जून 2013
गुरुवार, 28 जून 2012
हँसी
दुख रुपी परतो के अवरण में
फँसी ये हँसी …
चीखती है, चिल्लाती है...
कर दो आजाद मुझे
दुख व डर की..
सलाखो को निहारती ये हँसी...
मौन हो मन ही मन बुदबुदाती
कर दो आजाद अब तो मुझे
तभी दुखी परते सुन ये बुदबुदाहट
फैलाती है अपने पँख
ओर ले लेती है फिर
अपनी ओट मे..
मौन के सन्नाटे मे फिर..
खत्म हुआ अस्तित्व
इस हँसी का ।
Anjanna
चित्र गूगल साभार
रविवार, 6 मई 2012
यादे
हर पल हर
लम्हा जाता है गुजर
रह जाती है
बस यादें शेष
भविष्य के
दर्पण मे
जब भी खुलता
है
भूतकाल का वो
अक्स
होता है इक
सुखद अहसास
फिर मन
को …
उम्र के उस
दराज में
ये स्मृतियाँ
ही
रह
जाती है शेष ..
दे जाती है
जो
इक
मीठी सी..
चुभन
दिल को..
उमंग और
उत्साह को
चित्रित करते
ये चित्र
बोझिल होते
उस पल में
बिखेर जाते
है खशबु अपनी ।
(अजंना)
चित्र गूगल से साभार
शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012
शनिवार, 7 अप्रैल 2012
मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011
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